वक़्त का सिलसिलेवार दस्तूर
ये ज़िंदगी है, एक सफर है छोटा,
हँसी है, ख़ुशी है, ग़म का भी कोटा।
खिलेंगे फूल, फिर होंगे मुरझाए,
ये धीरे धीरे वक़्त का है तकाज़ा।
एक दिन हम सबको यूँ ही चलना होगा,
पीछे छोड़ना ये सब, यूँ ही सो जाना होगा।
पर ये पल जो मिल रहे हैं, संजो लो इनको,...
हँसी है, ख़ुशी है, ग़म का भी कोटा।
खिलेंगे फूल, फिर होंगे मुरझाए,
ये धीरे धीरे वक़्त का है तकाज़ा।
एक दिन हम सबको यूँ ही चलना होगा,
पीछे छोड़ना ये सब, यूँ ही सो जाना होगा।
पर ये पल जो मिल रहे हैं, संजो लो इनको,...