...

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CHULBULI
चैत्र, वैशाख मैं बैरंग सी हो गयी थी जिन्दगी
तब सावण मैं रंग भरने आयी मेरी चुलबुली

चलती थी तो मानो हवाएं भी कह उठती थी।
सावण के बारिशों मैं भी कमाल लगती थी मेरी चुलबुली।
धीरे धीरे मेरी ओर चुलबुली की दोस्ती हो गयी
उससे घंटो बातें करना अच्छा लगने लगा
रात को एक प्यारी सी हँसी के साथ
वो हमें गुड नाईट कहती थी।।
एक आदत थी उसकी
चल अब सो जा।।
सुबह क्लास भी जाना है।

समय गुजरा,इम्तिहान नजदीक आ गया
अब चुलबुली पढ़ने लगी थी
ओर मुझे भी कहती थी पढ़ने को
चल अब पढ़ ले बातें बाद मैं करना

इम्तिहान के बीच मैं चुलबुली का जन्मदिन भी आ गया।
पर उस दिन मैं थोड़ा गुस्सा भी हो गया था
क्योंकि मैं पहले बधाई नही दे पाया...
इम्तिहान बीत गयी सब घर चले गए
मेरी चुलबुली भी

कुछ दिन बाद चुलबुली घर से लौटी
मानो मेरे चेहरे पर एक खुसी की लहार दिख रही थी।

कुछ दिन बाद इम्तिहान का रिजल्ट भी आ गया
मेरी चुलबुली टॉप की थी।।
एक इंसान सबसे ज्यादा खुस था उसकी रिजल्ट से


धीरे धीरे समय गुजरा
चुलबुली ओर मेरी दोस्ती बहोत गहरी हो गयी थी
ओर शायद मुझे प्यार भी हो गया था
मैं अपनी सारी बातें उसे बताने लगा और वो भी..

सायद उसके जिंदगी मैं पहले से ही कोई था
फिर भी मैं प्यार करने लगा
क्योंकि भगवान कृष्ण कहते है प्रेम किसी से भी हो सकता है।।
दिन गुज़री रातें भी बीत गयी
एक सवेरा आया और हम सेकंड ईयर मैं आ चुके थे

हम प्यार मैं खोते चले गए
चुलबुली को सायद पता था।
चुलबुली से बातें करना उसका ख्याल रखना
उसे खुस रखना ,हसाना,उसकी केयरिंग करना
सब अच्छा लगता था।
जब उसकी केयरिंग करता था तो ऐसा लगता था कि किसी बच्चे की केयरिंग कर रहे हो

उसे डाटना मैं भी एक अपनेपन का एहसास था
उसे डाटना उसे समझना अच्छा लगता था

एक अच्छी बात थी मेरी चुलबुली मैं
वो मुझसे गुस्सा नही होती थी

अब 3rd sem ka exam aa gya hum
Fir ghar chale gye

चुलबुली से ठंडी के रातो मैं
छुप कर बात करना अच्छा लगता था
सायद उसे भी प्यार हो गया था

हम घर से आये
न जाने कौन सी आंधी चली
चुलबुली मुझसे दूर हो गयी ...
आज भी मैं अपनी चुलबुली को ढूंढ रहा हु
पता नही कहा चली गयी मेरी प्यारी चुलबुली...