collection-2
गौर फरमाए,
कि तुम्हारे बिना हम जीना सीख चुके है।
तुम्हे हम हार कर भी तुम्हे हम जीत चुके है।।
ना पाने की चाहत रही ना खोने का गम रहा।
हम बिरहा के बरसात मे बेइंतेहा भीग चुके है।।
माही..
हमने भी रिश्वत दे दिया अपने कलम को ।
हमे डर था कही ए मेरे सनम को बेवफा ना लिख दे।।
माही
आज सुन कर भी अनसुना की हो, कल...
कि तुम्हारे बिना हम जीना सीख चुके है।
तुम्हे हम हार कर भी तुम्हे हम जीत चुके है।।
ना पाने की चाहत रही ना खोने का गम रहा।
हम बिरहा के बरसात मे बेइंतेहा भीग चुके है।।
माही..
हमने भी रिश्वत दे दिया अपने कलम को ।
हमे डर था कही ए मेरे सनम को बेवफा ना लिख दे।।
माही
आज सुन कर भी अनसुना की हो, कल...