...

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अभी-अभी
अभी तो तुम गयी हो
जैसे हवा छूकर गयी हो
हर लम्हा बर्फ सा हो जैसे
न जाने तुम कब से गयी हो।

पतझङ का सूनापन है
पर हर जगह नयापन है
कोयल गा रही है देर से
पर गीत में अपनापन है।

कोपलें नयी-नयी होगी
कलियाँ नयी-नयी होगी
पर किसे पता क्या होगा?
ना हम होगे ना तुम होंगी ।



© Rakesh Kushwaha Rahi