है महाकाल ❤
तु भस्म रमावे जोगी सा
तु बीज है अलौकिकता का,
क्या कहूँ तेरे स्वभाव का
मैं कटपुटली तेरे खेलों का
तु ही दाता तु ही रुद्र
तु ही अंग आदि शक्ति का
गंगा बसे तेरी जटाओं में
चंद्रमा तुझ संग सुशोभित सा
शेषनाग तुझको सुहावे
नंदी प्रिय सवारी सा❤
इंद्रियों को करके वश में
बैठ...
तु बीज है अलौकिकता का,
क्या कहूँ तेरे स्वभाव का
मैं कटपुटली तेरे खेलों का
तु ही दाता तु ही रुद्र
तु ही अंग आदि शक्ति का
गंगा बसे तेरी जटाओं में
चंद्रमा तुझ संग सुशोभित सा
शेषनाग तुझको सुहावे
नंदी प्रिय सवारी सा❤
इंद्रियों को करके वश में
बैठ...