...

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काश.......
काश मा ने मुझे पचपन में ,
गिरना भी सिखाया होता
जितने के साथ हारना भी सिखाया होता।
तो ये डर ना ये
मेरे मन में बसता
सभी चले आराम से
कठिन लगे क्यों मेरा रस्ता
एक छोटे काम करने को
सौ - सौ बार सोचा करू मै
कहीं भूल हो गई तो,मजाक बन गया तो
फिर अंत मै ना करूंगी ,
यही निष्कर्ष धरा करू मै।
अजीब सी खाती है...