...

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माँ
सोचा चिर निद्रा में सोयी माँ को ,
जगाने की प्रयत्न करते बेटे पर एक कविता लिख डालूँ।

जी चाहता है ,
मेरे मन की भावनाओ को मै शब्दों में रच डालूँ ।

माँ को जगाने की प्रयत्न करते एक बेटे की यह तस्वीर देखकर,
देखने वाले हर व मन रो उठते हैं।

जब माँ-बेटे की मजबूत रिश्ते की बात याद आते हैं,
वर्णन के लिए शब्दों की सारी, वर्ण माला ही कम पड़ जाते हैं।

वो शब्द नहीं मिलता जो मेरे भावनाओं से, एक माँ -बेटे के दर्द भरी दास्तान को दर्शा पाते ,
माँ के प्रति बेटे के अथाह प्रेम को समझा पाते !

पर सच ही तो है न, माँ बेटे की ये दास्तान भी !
माँ तो बेटे की हर कही-अनकही बातें समझ जाती थी।

आँखों से ही बेटे की मन के हर जज्बात समझ जाती थी।
तो फिर बोलो ये कविता कैसे पूरी कर पाता मैं !

जो चीर निद्रा में सोयी माँ को जगाने की प्रयत्न करते,

एक बेटे की दर्द और माँ-बेटे के बीच अथाह प्रेम को,
पुरी तरह परिभाषित कर सके,

वो शब्द कहाँ से लाता मैं !

✍️ Laks
Mechanical Engg , Jharkhand