...

11 views

"क्यों हुई नाराज़ वो"
#WritcoPoemPrompt14
"क्यों हुई नाराज़ वो"
💐💐💐💐💐

जब हो विरह की वेदना,
साँझ प्यारी क्यों लगे?
जब लौटते हैं घर से भटके,
राह न्यारी क्यों लगे?
पूछ लेना खुद विरह से,
खोल दो तुम राज वो।
हर साँझ पूछे रोज मुझ से,
क्यों हुई नाराज़ वो।

इश्क़ तेरा है न मेरा,
मालूम किसको है नहीं।
है ये दिल की बात प्यारे,
दिल में छिपाकर रख कहीं।
हुआ इश्क़ का दीदार जब भी,
बज गए फिर साज वो।
तड़पता दिल पूछता है,
क्यों हुई नाराज़ वो।

बरसती हैं मेघ बूँदें,
क्यों तरसता है दिल तेरा।
मैं तन जलाता ही रहा हूँ,
हुआ ख्वाब ये कामिल मेरा।
राज दिल का तूने खोला,
मुझको दिखा दगाबाज़ वो।
आज तक समझा नहीं मैं,
क्यों हुई नाराज़ वो।

भूपेन्द्र डोंगरियाल
15/09/18
© भूपेन्द्र डोंगरियाल