...

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लिखने को ज्यादा कुछ नहीं चाहिए
दिन एक,
पवन का वेग,
था इतना तेज़,
कहीं उड़ जाऊं न मैं।

उपल की सेज,
उमड़ती रेत,
बगल को खेत,
किधर मुड़ जाऊं हां मैं?।

एक ओर नवनिर्मित पुल,
अस्ताचल का किरदार निभाए।
एक ओर हैं तारिणी गंगे,
कल–कल करती बहती...