...

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कुछ पल तो साथ चलते
कुछ पल तो साथ चलते हमसफर
होने का बोझ भी न डाला।

एक पल सिर्फ मेरे लिए मुस्कुराते
कोई उम्र भर कैद में नहीं रखना था।

आगे बढ़ने से पहले एक बार
पूछा होता, तुम्हारा कोई खुद से ज्यादा
ख्याल करता था।

पागल हो तुम, भूल गए न ?
अच्छा किया बहुत अच्छा
यादें और दर्द ही अब रह गया।

क्योंकि कैद कर के
रख लूं ये हुनर न
आता था।

मुस्कुराहट पसंद थी मुझे
तुम्हारी। इससे
ज्यादा सोचा नहीं।
पर दूर हो जाओगे
इसका खौफ भी न
था।

उफ्फ हंसते बहुत हो
तुम। नज़र लगे न
इसलिए थोड़ा दूर ही
रहना ठीक समझा।

पर क्या पता
मेरी चौखट
पर बैठा परिंदा
किसी और
का हो जाएगा।

एक पल वो वापस भी
नहीं देखेगा।
परिंदा किसी
परिस्तान का दीवाना हो जाएगा।

भूल जाओ हां वापस
मत आना।

गुड लक 🤞
गॉड bless यू।

© Aarti kumari singh