शायरी#50
हाल-ए-जिंदगी जैसे
इज्तिराब हैं चराग़ में
न चैन आता हैं जलने में
ना सुकूँ मिलता हैं बुझने में
© Spiritajay
इज्तिराब हैं चराग़ में
न चैन आता हैं जलने में
ना सुकूँ मिलता हैं बुझने में
© Spiritajay
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