घाव
न कुरोदो उन जख्मों को जिनको हमने दिल में कही छुपायें रखा हैं,
उन ज़ख़्मों के घावों को आँसुओं की मोटी चादर से ढका रखा हैं।
तस्वीरों, यादों सब को दिल के तहखाने में बंद रखा हैं,
ना जानें कब से उस तहखाने के भार को जहन में छुपायें रखा हैं,
उस तहखाने की चाबी को आँखों के नीचे छुपाके रखा हैं।
मुलाकातों में अब पहली जैसी बातें नहीं होतीं,
उनके हर बातों का जबाव अब हमारी बातें नहीं होतीं,
हमारे बीच की बातों की जगह खालीपन को मिला हैं,
कहने को तो...
उन ज़ख़्मों के घावों को आँसुओं की मोटी चादर से ढका रखा हैं।
तस्वीरों, यादों सब को दिल के तहखाने में बंद रखा हैं,
ना जानें कब से उस तहखाने के भार को जहन में छुपायें रखा हैं,
उस तहखाने की चाबी को आँखों के नीचे छुपाके रखा हैं।
मुलाकातों में अब पहली जैसी बातें नहीं होतीं,
उनके हर बातों का जबाव अब हमारी बातें नहीं होतीं,
हमारे बीच की बातों की जगह खालीपन को मिला हैं,
कहने को तो...