153 views
!! दर्द ए जुदाई !!
अब मै हंसने के काबिल न रहा
दर्द ए जुदाई मुझ पर भारी पड़ा ।
इश्क़ मेरा अब वाजिब न रहा
विरह से दिल मेरा भरा पड़ा ।
गुम हुई वो मेरी सुकुं कि रातें
आंखो का सपना भी बिखरा पड़ा।
तिलस्मी आंखों का नशा भी धूमिल हुआ
बातूनी रेडियो भी अब तो है सूना पड़ा ।
न रही वो अब शाम में रंगत और
न ही रही अब सुबह में वो लाली
दिल ए महफिल का रौशनदान भी बुझा पड़ा
न अब है उम्मीद मिलन कि
और न ही मै उसके काबिल रहा ।
अब मै हंसने के काबिल न रहा
दर्द ए जुदाई मुझ पर भारी पड़ा ।
© strawberrysaurabh
दर्द ए जुदाई मुझ पर भारी पड़ा ।
इश्क़ मेरा अब वाजिब न रहा
विरह से दिल मेरा भरा पड़ा ।
गुम हुई वो मेरी सुकुं कि रातें
आंखो का सपना भी बिखरा पड़ा।
तिलस्मी आंखों का नशा भी धूमिल हुआ
बातूनी रेडियो भी अब तो है सूना पड़ा ।
न रही वो अब शाम में रंगत और
न ही रही अब सुबह में वो लाली
दिल ए महफिल का रौशनदान भी बुझा पड़ा
न अब है उम्मीद मिलन कि
और न ही मै उसके काबिल रहा ।
अब मै हंसने के काबिल न रहा
दर्द ए जुदाई मुझ पर भारी पड़ा ।
© strawberrysaurabh
Related Stories
104 Likes
30
Comments
104 Likes
30
Comments