...

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!! दर्द ए जुदाई !!
अब मै हंसने के काबिल न रहा
दर्द ए जुदाई मुझ पर भारी पड़ा ।

इश्क़ मेरा अब वाजिब न रहा
विरह से दिल मेरा भरा पड़ा ।

गुम हुई वो मेरी सुकुं कि रातें
आंखो का सपना भी बिखरा पड़ा।

तिलस्मी आंखों का नशा भी धूमिल हुआ
बातूनी रेडियो भी अब तो है सूना पड़ा ।

न रही वो अब शाम में रंगत और
न ही रही अब सुबह में वो लाली
दिल ए महफिल का रौशनदान भी बुझा पड़ा

न अब है उम्मीद मिलन कि
और न ही मै उसके काबिल रहा ।

अब मै हंसने के काबिल न रहा
दर्द ए जुदाई मुझ पर भारी पड़ा ।


© strawberrysaurabh