...

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NAKAAB SE HAT KR
जो टूट रहा है अंदर तुम्हारे,
जो जल रहा है बेफुरसत,
जो जी रहा है तू घुट घुट कर
और मर रहा छुप छुप कर,

कहीं वही तो वजह नहीं है,
जो तू हस रहा है रुख बदल कर
और घूम रहा है नकाब मे चुप कर

ऐ रूहगार जी ले थोड़ा सा नकाब हटा कर...
© piyusha's