...

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आदत
बाकिफ हूं तेरी आदत से
नज़रे टिकती ही नहीं है एक पर
बोलते कुछ हो
देखते कही और हो
दिमाग कुछ कहता है तेरा
जुबान पर कोई और रहती है तेरे।
सच बताना तेरी किस आदत को
अपना मान लूं।

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