...

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मेरे इश्क़ में ढलना पड़ेगा
छोड़ो यार अब तुझे
मोहब्बत नही लिखना
तुम सांस बन चुके हो
हर लम्हा तेरी याद
याद में तू औऱ तुझमे मैं
लगता हैं दिन ख़त्म ही नहीं होते
बरसों से वही दिन चल रहा है
जब तुझे छुआ था औऱ
तुझे इश्क़ कर लिया था...
औऱ वही इश्क़
वही छुअन और
वही मैं औऱ
वही तेरी बातें
तुझसे मिलने का सुकून
सीने में दबाए रखा है
होली की आग सा
अबके मिलोगे तो
आग जलेगी तो जरूर
पर तुझे खुद को तपा कर
मिरे इश्क़ में ढलना पड़ेगा

© Dishara