मशवरा
ज़िंदगी बचानी हो
जां कभी छुड़ानी हो
हर घड़ी, कि हर लम्हा
आंख जो चुरानी हों
ख़ुद ही मैं समझ लूंगा
तुम जवाब मत देना
राबता सिमट जाए
दिल कहीं भटक जाए
बात आ के लब पे जब
ख़ुद ब ख़ुद अटक जाए
फिर हमें सताने को
और ख़्वाब मत देना
ज़िन्दगी के...
जां कभी छुड़ानी हो
हर घड़ी, कि हर लम्हा
आंख जो चुरानी हों
ख़ुद ही मैं समझ लूंगा
तुम जवाब मत देना
राबता सिमट जाए
दिल कहीं भटक जाए
बात आ के लब पे जब
ख़ुद ब ख़ुद अटक जाए
फिर हमें सताने को
और ख़्वाब मत देना
ज़िन्दगी के...