दादाजी
शायद फिर उतनी बातें नहीं होतीं...
फिर शायद उतनी आस नहीं होती...
अगर आप ना होते, दादाजी, तो मैं क्या ही कर पाता, ऐ ज़िंदगी, मेरी ज़िंदगी बिना आपके...
आपके बिना वो हिम्मत नहीं...
फिर शायद उतनी आस नहीं होती...
अगर आप ना होते, दादाजी, तो मैं क्या ही कर पाता, ऐ ज़िंदगी, मेरी ज़िंदगी बिना आपके...
आपके बिना वो हिम्मत नहीं...