...

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अलविदा कह दो ज़ख्मों को
आख़िरकार अब तेरी यादें नहीं सताती
कभी कभी रो लेता हूं अचानक से पर
पहले की तरह रोज़ ये आंखें आंसू नहीं बहाती
आख़िरकार दिल ने मान लिया मेरे
की उम्मीदें सबसे नहीं लगाई जाती
यादें प्यारी भी हो चाहे पर अगर यही यादें
दर्द देने लगे तो गहरा ज़ख़्म बन जाती हैं
जिसकी कोई मरहम नहीं पाई जाती
तुम थे मेरे कभी, अब नहीं हो
दिल से ये कड़वी सच्चाई क़ुबूल
नहीं थी की जाती
पर अब आख़िरकार तेरे दिए ज़ख्मों
की मरहम मैं ख़ुद बन चुका हूं
तुझे पूरी तरह से भुला तो नहीं सका
पर ख़ुद की अहमियत जान चुका हूं
इश्क़ करना बुरा नहीं है यारों
मगर किसी से दिल लगाके
ख़ुदको बर्बाद कर देना गलत है
तो आख़िरकार अपने ज़ख्मों की
ख़ुद ही मरहम बन जाने का वक्त आ गया है
बहुत जी चुके उनके लिए
जिन्हें हमारे होने ना होने
से फ़र्क तक नहीं पड़ता
अब ख़ुद के लिए जीने का वक्त आ गया है।

Pic from : Pinterest
#writco #life #thoughts #live

© rõõh