...

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खामोशी
कुछ इस तरह अपनी बातों में वो यूँ अटक गए
दर्द बयां करने को लफ्ज़ ढूँढ़ते ढूँढ़ते थक गए

कहा सिर्फ मेरे जज़्बात को शेखी, तौहीन नहीं है
वो दिलों से खेलती है, तोड़ने की शौक़ीन नहीं है

© AbhinavUpadhyayPoet