अभी भी वक़्त है।
समझ जा आज तो छोड़ दे हिन्दू मुस्लिम की लड़ाई।
आज तो संभल जा भाई।
क्यों इतलाफ़ पे तुला है अपने ही मुल्क की, ऐसी क्या जाहिल अक्ल पाई।
कब हुआ भला उस सोच का जंहा जहन में एक दूसरे के लिए पाली बुराई।
जाग जा अभी भी वक़्त है, इक जान हो जा फिर शायद ही नसीब हो इस पल की भरपाई।
दिखा दे अपनी एकता कर दे इजाज मुल्क को, मिसाल कर दे कायम इतिहाद की मेरे भाई।
आज तो लड़ भी लोंगे एक दूसरे से, कल कोई न बचेगा इनाद के लिए मेरे भाई।
समझ जा आज तो...
आज तो संभल जा भाई।
क्यों इतलाफ़ पे तुला है अपने ही मुल्क की, ऐसी क्या जाहिल अक्ल पाई।
कब हुआ भला उस सोच का जंहा जहन में एक दूसरे के लिए पाली बुराई।
जाग जा अभी भी वक़्त है, इक जान हो जा फिर शायद ही नसीब हो इस पल की भरपाई।
दिखा दे अपनी एकता कर दे इजाज मुल्क को, मिसाल कर दे कायम इतिहाद की मेरे भाई।
आज तो लड़ भी लोंगे एक दूसरे से, कल कोई न बचेगा इनाद के लिए मेरे भाई।
समझ जा आज तो...