...

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🥀❣️🍮बेहिसाब यादें, कड़क चाय औऱ हम..💃❣️ हाँ ! ,बेफ्रिक से हम...
🥀जब भी तनाव का नाम ज़ेहन में आता है ,अनायास ही चाय याद आ जाती है.बो भी कड़क चाय... ....पर चाय तभी अच्छी दोस्त लगेगी ...जब प्याले में
सकारात्मकता और आशावाद, के साथ
प्यार, आनंद और एक मुस्कान ........जरूर घुली हो ..
. 🥀 सच कहें एक अच्छी सी कड़क चाय सब अच्छा कर देती है... इन्ही अहसासों और भावों से रची बसी, #मेरी_डायरी से स्वरचित कविता की कुछ पंक्तियाँ..
❣️#बेहिसाब_यादें,#कड़क_चाय☕और #हम💃

🥀 बेहिसाब यादें,चाय और हम ,
जितना बड़ा कप ,चिंता उतनी कम...
बस महसूस कर सकते हैं...
अनोखा सा यह अहसास ,
ख़ुद से ही साझा कर सकते है..
🥀बहुत फ़र्क पड़ता है ...सोच में
जब चाय थोड़ा, कड़क हो ,
और चीनी भी तेज हो....
मानो ...मिठास की अनुभूति..
लगे जैसे हरेक गरम घूँट के साथ...
,कड़वाहट सर्रर्रर से सरक गयी हो...

🥀ये न फ़ीकी ....शुगर फ्री चाय ...
बिना मिठास के...संवेदना रहित ...
प्रचलन में होगी. पर हमे समझ नहीं आती..
बेजरूरी सी ,बेबजह बस
पीना..पर क्यों?
स्वादरहित सी फ़ीकी चाय ,
जिंदगी में किसी कमी के अहसास जैसी सी ही है..

🥀अरेईईई एक चाय ही तो है ....
जो उदासियों में बड़ी ..
अपनी सी लगती है..
बालकनी में ठंडी हवा ,और एकांत हो ....
हाथ मे चाय का प्याला हो...
और साथ मे कुछ मीठा..और कुछ अनकही सी ,
ढेर सारी यादे....

🥀थोड़ा अजीब है...
पर नमकीन के बजाय,
चाय के साथ ,
हमे मीठा पसंद है..
साथ ही पंछियों की,
चहकने की मधुर आवाजें...
अरेईईई ये क्याआआ हुआ....
चाय खत्म...प्याला खाली..
अरेईईई नहीं न..अभी बाक़ि है..
प्याले में है ...सकारात्मक सोच,
आशावाद, प्यार, आनंद ,
और एक सहज मुस्कान ....
हाँ मुस्कान💃.....
🥀$unit@tul~~
.
.🥀❣️
© sunita gupta