...

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यह आसमां।
यह आसमां भी क्या खूब है
गढ रखा भू पर इसने हीं तो
जितने दिखते रंग और रूप हैं
क्या खूब सजावट कर डाली है
पर इसने रखी सब झोली खाली है।।
एक कली खिला बना उसे फली
हँसी हर होठों पर सजा लाता है
ढोल ताशे ठुमक तब उठते हैं
फिर इस हँसी के पीछे छिपे दर्द को
सहजता से कितनी यह छिपा जाता है।।
दे...