मंझ़र.....
देख़ा हैं मैंने उनको
बेवज़ह जलते हुए
बेजुबान थें वो
और एक वो
ज़बान चलाने वाले ।।
बिक गया इन्सान था
निलाम़ हुई थी, इन्सानियत...
बेवज़ह जलते हुए
बेजुबान थें वो
और एक वो
ज़बान चलाने वाले ।।
बिक गया इन्सान था
निलाम़ हुई थी, इन्सानियत...