...

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देखी है
राह में चलते ही चलते उनकी राह देखी है,
ठोकर लगी पैरों में तो अपनी आह देखी है.

निकले जो बाद में और मंज़िल भी पा गए,
ऐसे कदमों के लिए दुनिया की वाह देखी है.

इरादे, मजबूरियां, दुश्‍वारियां भी हैं सफ़र में,
दफ़्न हमने राह में कई शाहों की जाह देखी है.

रेत है पैरों तले और दिन भी ढलता जा रहा,
ऐसे मौकों पर दिल में सहरा की चाह देखी है.

चल ही रहा हूं कब से, सोचते होंगे आस वाले,
ख़बर करो जिसने मेरे लिए ख़ैर-ख़्वाही देखी है.
© अंकित प्रियदर्शी 'ज़र्फ़'

जाह - प्रतिष्ठा, इज़्ज़त, पद (respect, prestige, status)
सहरा - जंगल, बियाबान (forest, isolated place)
ख़ैर ख्वाही - शुभचिंतन, भलाई चाहना (well wishing)
एक और नज़्म की पेशकश.....
#poetry #hindi #urdu #life #inspiration

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