यूँ तो कई दफ़ा.... क़रीब आये तुम मेरे
यूँ तो कई दफा क़रीब आये तुम मेरे
लेकिन कभी तो क़रीब आओ
मेरे मन से मन तक.....
जहां से तुम्हें ज्ञात हो सके
मेरी मुस्कुराहट के पीछे में वो नैराश्यपूर्ण भाव
जो अपने ही जद्दोजहद में छिपे मिलते है
तुम आओ "जान" मेरे इतने पास
जिधर से...
लेकिन कभी तो क़रीब आओ
मेरे मन से मन तक.....
जहां से तुम्हें ज्ञात हो सके
मेरी मुस्कुराहट के पीछे में वो नैराश्यपूर्ण भाव
जो अपने ही जद्दोजहद में छिपे मिलते है
तुम आओ "जान" मेरे इतने पास
जिधर से...