"खेल नवा नवा सा समझा है"
शब-ओ-रोज जाने-जां, तुमने ना-तवाँ सा समझा है,
गफलत में आकर हमको, तुमने बेजुबा सा समझा है,,
.....
एक उम्र हो चली बा-खुदा, उसकी यादें ढो चले ,
यार उसने तो हमको, ना-खुदा सा समझा है,,
.....
फिराख-ए-यार...
गफलत में आकर हमको, तुमने बेजुबा सा समझा है,,
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एक उम्र हो चली बा-खुदा, उसकी यादें ढो चले ,
यार उसने तो हमको, ना-खुदा सा समझा है,,
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फिराख-ए-यार...