यादों का झोखा...
यादों का झोखा रह-रह कर आता है
मेरी रूह को बेचैन कर मुझे तड़पाता है
कहां जाऊ इनसे दूर, खुद को कैसे बचाऊ
जब इन यादों से ही मेरी सांसे चलती है
गुज़रे लम्हें यादों मे सिमट गये
हम उन लम्हों मैं ही कहीं रह गये
चाहा बहुत निकल आऊं इनसे
पर मेरी हर कोशिश नाकाम हो गयी है
काश वो पल लौट आये
तो यादों का मंज़र यूँ ना सताये
मेरी बेबसी बन मुझे ना रुलाये
मैं आगे बढ़ना चाह रही पर ये यादें मेरे रास्ते मे आ रही हैं
क्यूंकि यादो का झोखा रह-रह कर...
मेरी रूह को बेचैन कर मुझे तड़पाता है
कहां जाऊ इनसे दूर, खुद को कैसे बचाऊ
जब इन यादों से ही मेरी सांसे चलती है
गुज़रे लम्हें यादों मे सिमट गये
हम उन लम्हों मैं ही कहीं रह गये
चाहा बहुत निकल आऊं इनसे
पर मेरी हर कोशिश नाकाम हो गयी है
काश वो पल लौट आये
तो यादों का मंज़र यूँ ना सताये
मेरी बेबसी बन मुझे ना रुलाये
मैं आगे बढ़ना चाह रही पर ये यादें मेरे रास्ते मे आ रही हैं
क्यूंकि यादो का झोखा रह-रह कर...