...

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एहसास इक नया स अब हो जाने दे
जो न समझे हम ,वो इशारे तुम्हारें होंगे
आजकल समंदर की लहरों सी नहीं मिलते हम
क्या पता कल
इक नदी के दो किनारें होंगे

बेचैनी की आदत अब हो जाने दे
कुछ रह गया हो खोने को बाकी

तो मुस्कुराकर खो जाने दे।

इक भीड़ सी होगी महफ़िल में
तेरे गैर बनकर अपने करीब सारे होंगे

वो रस्म होगी तुम्हारी शादी की

जीत किसी की अमानत को लेकर जाएगा कोई

कमबख्त जीत कर सब तो हम हारे होंगे

जो हो रहा कुछ भी वो हो जाने दे

कुछ रह गया हो खोने को बाकी

तो मुस्कुराकर खो जाने दे

© 𝓴𝓾𝓵𝓭𝓮𝓮𝓹 𝓡𝓪𝓽𝓱𝓸𝓻𝓮