...

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YE KAISI VIDAMBNA HAI
ये कैसी विडम्बना है
सहादत की दहलीज़ पर
देखो दस्तक देने कौन आया है"..

ना ब्याह ना गौना
फिर बैंड बाजा बारात लेके
देखो फिर दहलीज़ पर कौन आया है"..

झलकती नहीं थी जिनकी
बर्षो तक परछाई,
देखो वो कैसे आज बर्षाती मेंढक के
माफी उछल कूदकर
जोर सोर से बेसुरा आवाज में
खुद डंका पीटने को आया है है "..

ये कैसी विडम्बना है "..

बसंत ऋतू...