...

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YE KAISI VIDAMBNA HAI
ये कैसी विडम्बना है
सहादत की दहलीज़ पर
देखो दस्तक देने कौन आया है"..

ना ब्याह ना गौना
फिर बैंड बाजा बारात लेके
देखो फिर दहलीज़ पर कौन आया है"..

झलकती नहीं थी जिनकी
बर्षो तक परछाई,
देखो वो कैसे आज बर्षाती मेंढक के
माफी उछल कूदकर
जोर सोर से बेसुरा आवाज में
खुद डंका पीटने को आया है है "..

ये कैसी विडम्बना है "..

बसंत ऋतू में कोयल की कुहूक ,
सावन में मोर का चहकना
झरि में मेंढक का टर्राना
और इलेक्शन में नेताओं का
लम्बी लम्बी फेंकना
अब ये सब आम सी बात है "..

ये कैसी विडम्बना है "..

तनाव बहुत है शरहद पर
शायद देश में इलेक्शन है ,
देखते रहो ध्यान से कौन कौन
अपना धंधा को चमकाने के लिए
कौन कौन से पैंतरा आजमाते है "..

ये कैसी विडम्बना है "..

मानते है हम जिसे देश की
तरक्की का चौथा स्तम्भ
वो कैसे आज देश के
वीर जवानो पर गुर्रा रहे है,
साध के निशाना जवानो पर
नेताओं के तलुवे चाट रहे है"..

ये कैसी विडम्बना है "..