...

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भावनाओं का जाल किया हाल बेहाल
नहीं जाना था कि इतिहास दुहराता है .......
जिस कशमकश को दूर छोड़ा था
ख्वाब में भी ना ये कभी सोचा था
हैरान परेशान फिर हो जायेंगे
फीलिंग्स भावनाओं के जाल में फिर फंस जायेंगे
इन भावनाओं ने पहले भी दी है दगा
फिर लेनी क्यूँ है फिर से सजा
लेकिन मन ये कहाँ समझ पाता है
भावनाओं के जाल में फंस फिर वहीँ पहुंच जाता है
इसलिए तो कहा जाता है...