...

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PREM ROG...!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
एक अजीब सी मुस्किल में हूं इन दिनों
मेरी भर पूर नफ़रत कर सकने की ताक़त दिनोदीन छीन पढ़ती जा रही
अंग्रेजी से नफ़रत करना चाहता
जिन्होंने दो सदी हम पर राज किया
तो सेक्सपियर आड़े आ जाते
जिनके मुझ पर जानें कितने एहसान है

मुसलमानों से नफ़रत करने चलाता
तो सामने गालिब आकर खड़े हों जाते
अब आप ही बताइए किसी की कुछ चलती है
इनके सामने...

सिखों से नफ़रत करना चाहता
तो गुरूनानक आखों पर छा जाते
और सिर अपने आप झुक जाता
और ये कंबन त्यागराज मुथुस्वामी
लाख समझता अपने को कि वो मेरे नहीं
दूर कही दक्षिण के है
पर मन है कि मानता ही नहीं
बिना उन्हे अपनाए

और वह प्रेमिका
जिससे मुझे पहला धोखा हुआ था
मिल जाए तो उसका खून कर दू
मिलती भी है मगर
कभी मित्र
कभी मां
कभी बहन की तरह
तो प्यार का घुट पी कर रह जाता
हर समय
पगलो की तरह घूमता रहता की कही कोइ ऐसा मिल जाए
जिससे भरपूर नफरत कर के अपना जी हल्का कर लू
पर होता है इसका ठिक उल्टा
कोइ न काई कभी न कभी
कही न कहीं ऐसा मिल जाता
जिससे प्यार किए बिना रह हि नहि पाता
दिनोदिन मेरा ये प्रेम रोग बढ़ता ही जा रहा है
और is वहम ने
पक्की जड़ पकड़ ली है
की वह किसी दिन मुझे स्वर्ग दिखा कर रहेगी







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