...

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कुछ मजबूरियां
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
हर एक चीज बस तुम से ही जुड़ी है,
तुम सपनो का महल हो मेरे,
तुम्हारे बिना हर एक आरजू मेरी अधूरी है,
तुम एक मुकम्मल सा एहसास हो मेरा,
तुम जुड़ी हो दिल की धड़कन से,
जैसे मेरी हर एक सांस जरूरी है,
झूठ नही मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है,
© ✍️Writer-S.K.Gautam