चलो ख़ुद के अंदर आज हम एक दीपक जलाएँ...!!!
चलो खुद के अंदर…
आज हम एक दीपक जलाएं,
अपने अंदर बसे अंधकार को प्रज्वलित लौ से मिटाएं।
मनुष्यता का धर्म हम कुछ तो अपनाएं…
कुछ आदर्शों को भी ग्रहण करें हम…
आदर्श पुरुषों की भांति सफल करें अपना जन्म।
सारे मन के भेद मिटाकर श्रेष्ठ कर्म करें…
दया भाव जीवन में भरकर,
अडिग हमारा धर्म रहे।
दूजे की तकलीफों में…
नयन में अश्रु धारा भी हो।
जब मानवता का पतन हो…
प्रचंड,विकराल रूप...
आज हम एक दीपक जलाएं,
अपने अंदर बसे अंधकार को प्रज्वलित लौ से मिटाएं।
मनुष्यता का धर्म हम कुछ तो अपनाएं…
कुछ आदर्शों को भी ग्रहण करें हम…
आदर्श पुरुषों की भांति सफल करें अपना जन्म।
सारे मन के भेद मिटाकर श्रेष्ठ कर्म करें…
दया भाव जीवन में भरकर,
अडिग हमारा धर्म रहे।
दूजे की तकलीफों में…
नयन में अश्रु धारा भी हो।
जब मानवता का पतन हो…
प्रचंड,विकराल रूप...