...

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भोर गीत
चमक उठे जल कण भूतल पर
नभ में नई रश्मि छायी है।
कोहलाहल चहुओर खगों का
यह सुबह नई ऊर्जा लाई है।।

भर लो उड़ान अब पंख पसारो
भवरों ने ये कृतियां गायीं हैं।
सब विघ्न सूक्ष्म आगे मानव के
यह सुबह नई ऊर्जा लाई है।।

हो यश जग में और कीर्ति फैले
वसुधा पर जैसे हरियाली छायी है।
सपने खुद उतरें स्वागत को
यह सुबह नई ऊर्जा लाई है।।