डोली
आओ तुम्हें सुनायें एक रुदन भारी कविता।
अपनी बेटी की शादी करने को एक पिता।
वर्षों से पाला था उस जिगर के टुकड़े को।
उमर हो गयी उसकी परिणय बंधन में बंधने को।
तिनका-तिनका रुपया जोड़ा, जीवन भर की कमाई थी।
अपनी बेटी की शादी के लिए सब दांव...
अपनी बेटी की शादी करने को एक पिता।
वर्षों से पाला था उस जिगर के टुकड़े को।
उमर हो गयी उसकी परिणय बंधन में बंधने को।
तिनका-तिनका रुपया जोड़ा, जीवन भर की कमाई थी।
अपनी बेटी की शादी के लिए सब दांव...