...

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शब्दों मे मै लिखूं या, गज़लो में गुनगुनाऊं?
वो सुन्दर एहसास है,जो हर पल मेरे साथ है ,,
अपने इस एहसास को ! कैसे मै सुनाऊं?

शब्दों मे मैं लिखूं या गजलों में गुनगुनाऊं?

सुनो, ये लाइंस हैं तुम्हे समर्पित,
मेरा ये हृदय तुम्हारे प्रेम में अर्पित,!!
जो राज़ था मेरे दिल में ,वो
कैसे तुम्हें बताऊं?

शब्दों में मैं लिखूं तुम्हे , या
ग़ज़लो में गुनगुनाऊं?


जब होती साथ तुम हो,तब दिल ये चाहता है ,..
ये वक्त ठहर जाएं,रब से वो मांगता है ..,,

हृदय की ये अभिलाषा कैसे तुम्हे बताऊ,, ?
विरह की प्यारी पीड़ा को कैसे मै छिपाऊ?

तुम्हे याद कितना करता हूँ ,कैसे मै बताऊ ?
शब्दों में मै लिखूं या ,गजलों में...