...

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शब्दों मे मै लिखूं या, गज़लो में गुनगुनाऊं?
वो सुन्दर एहसास है,जो हर पल मेरे साथ है ,,
अपने इस एहसास को ! कैसे मै सुनाऊं?

शब्दों मे मैं लिखूं या गजलों में गुनगुनाऊं?

सुनो, ये लाइंस हैं तुम्हे समर्पित,
मेरा ये हृदय तुम्हारे प्रेम में अर्पित,!!
जो राज़ था मेरे दिल में ,वो
कैसे तुम्हें बताऊं?

शब्दों में मैं लिखूं तुम्हे , या
ग़ज़लो में गुनगुनाऊं?


जब होती साथ तुम हो,तब दिल ये चाहता है ,..
ये वक्त ठहर जाएं,रब से वो मांगता है ..,,

हृदय की ये अभिलाषा कैसे तुम्हे बताऊ,, ?
विरह की प्यारी पीड़ा को कैसे मै छिपाऊ?

तुम्हे याद कितना करता हूँ ,कैसे मै बताऊ ?
शब्दों में मै लिखूं या ,गजलों में गुनगुनाऊं ?

मिठी सी तेरी बातें,छूकर है दिल को जाती ..
जब याद वो है आतीं,आँखे मेरी भर जातीं,..

तेरी प्यारी सी नज़रो से ,नज़रे कैसे मिलाऊ?
शब्दों में मै लिखूं या, गज़लो मे गुनगुनाऊं?


प्यारा सा तेरा चेहरा, सुन्दर सी वो मुस्काने ,
जो देख ले एक बार तो,मिट जाए सब थकाने ....

कुछ बाते सुनकर मेरी ,तुम जब भी मुस्कुराती !,
तुम्हारे वो अदाएं, ये दिल चुरा ले जाती,,

उन प्यारी सी हसी को ,मै कैसे भुल जाऊँ,
तुम्हीं मेरा जीवन हों, कैसे तुम्हे बताऊ?

जब आंख खुली, खुद को अकेला ही पाया
उनकी हसीन यादों ने ,इस दिल को सताया,,!
आंखों के सामने से गायब हो गई वो
और मैंने एक बार फिर खुद को अकेला ही पाया,....


तुम्हारी दी यादो मे ,मै गम को भुल जाऊ ...
तुम्हारे बिना अधूरा, जीवन कैसे बिताऊँ ??

तुम याद बहुत आती हो,कैसे मै बताऊ ?
अपने झूठी हसी मे ,,,,आँसू कैसे छिपाऊँ??

ये हाल मेरे दिल का,,,. किसे मै जा सुनाऊँ,?
शब्दों मे मैं लिखूं या ..,गज़लो मे गुनगुनाऊ?,

© Mayank Kumar Kasaudhan