...

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तोड़ दो ये बेड़ियाँ
तोड़ दो ये बेड़ियाँ, अब और नहीं सहेंगे,
हम घुटन में जीना, अब और नहीं कहेंगे।

दर्द की इन जंजीरों को, काट देंगे आज,
आज़ादी का नया सवेरा, लाएंगे आज।

खामोश रहकर, सहते रहे हैं सदियों से,
अब आवाज़ उठाएंगे, चीखेंगे सदियों से।

तोड़ दो ये...