...

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Mini Poem
'संकलन' में "शक्ति" शब्दों के
ज़रा सोंच समझ के बोलें हम
न जानें किन किन शब्दों से
औरों के दिल भी खोलें हम,

शब्दों का जाल निराला है
फँस कर हम निकल न पाते हैं
फँसते ही जाते हैं हम इनके
मन मोहक जाल निराले में,

हैं अगर शब्द अपने तीखे
कुछ बिछड़े फिर जुड़ जाते हैं
हैं अगर शब्द अपने मीठे
कुछ चेहरे नए दिखाते हैं,

'संकलन' में "शक्ति" शब्दों के
ज़रा सोंच समझ के बोलें हम,,
© anil_kumar