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मां की डांट
सुबह- सवेरे हल्ला मचता उठजा मेरे लला,
चार- पांच बार प्यार से मां पुकारती लला।
जब बार-बार नजरअंदाज करें मां की वो पुकार।
तब मां गुस्से में लाल होकर कहती "उठ जा ओ महाराज"।
एक बार में आंख है खुलती,
फटाफट तह कर बिस्तरों की,
हो जाएं तैयार।
गुस्से से मां है कहती कि उठता नहीं तू जल्दी।
मां सुनाए दोस्तों के ऐसे-ऐसे नाम और फिर करें उनका गुणगान।
जो सपने अधूरे रहते उनको देते ब्रेक,
और कहते उनसे की अगली बार तुम्हें करेंगे पूरे ।
मां की डांट सुनते सुनते हर बच्चा है जीता, सुबह उठने की आदत डाल कर हर सपना हुआ है पूरा।
हर किसी के साथ एक बार जरूर घटते हैं
यह पल 😋।
चार- पांच बार प्यार से मां पुकारती लला।
जब बार-बार नजरअंदाज करें मां की वो पुकार।
तब मां गुस्से में लाल होकर कहती "उठ जा ओ महाराज"।
एक बार में आंख है खुलती,
फटाफट तह कर बिस्तरों की,
हो जाएं तैयार।
गुस्से से मां है कहती कि उठता नहीं तू जल्दी।
मां सुनाए दोस्तों के ऐसे-ऐसे नाम और फिर करें उनका गुणगान।
जो सपने अधूरे रहते उनको देते ब्रेक,
और कहते उनसे की अगली बार तुम्हें करेंगे पूरे ।
मां की डांट सुनते सुनते हर बच्चा है जीता, सुबह उठने की आदत डाल कर हर सपना हुआ है पूरा।
हर किसी के साथ एक बार जरूर घटते हैं
यह पल 😋।
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