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इश्क़
मोहब्बत में जानें मेरे कैसे हालात हुए
पुछों न मुझसे कैसे कैसे सवालात हुए!
उसको क़दर ही नहीं मेरे जज्बातों की
झूठा था वो इश्क़ सिर्फ़ हम ही बर्बाद हुए!
खत्म हुआ उसकी मोहब्बत का सिलसिला
आंखों से नहीं हम दिल से भी बरसात हुए!
उसको तो अब मुझसे कोई वास्ता नहीं
हम ही पागल थे उसके लिए पूरे राख हुए!
जुबां से कैसे कहें "नज़र" दर्द ये अपना
सांसे तो चल रही मगर हम जिंदा लाश हुए!
पुछों न मुझसे कैसे कैसे सवालात हुए!
उसको क़दर ही नहीं मेरे जज्बातों की
झूठा था वो इश्क़ सिर्फ़ हम ही बर्बाद हुए!
खत्म हुआ उसकी मोहब्बत का सिलसिला
आंखों से नहीं हम दिल से भी बरसात हुए!
उसको तो अब मुझसे कोई वास्ता नहीं
हम ही पागल थे उसके लिए पूरे राख हुए!
जुबां से कैसे कहें "नज़र" दर्द ये अपना
सांसे तो चल रही मगर हम जिंदा लाश हुए!
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