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गुलाब
खूबसूरती के लिए चुना जाने वाला फूल हर शाम मुरझा कर बिखर जाता है कौन भला हमेशा वैसा ही जाता है जैसा वह इस जमीन पर आता है फिर भी न जाने किस गुमान पर जीते हैं लोग किस चीज का रखते हैं घमंड जो काले गोरों पर न जाने क्या कह कर फर्क जताया जाता है,
माना तुम दुनिया के वह सबसे अलग इंसान हो जैसा खुदा ने भी किसी दूसरे को बनाया नहीं पर इसका मतलब यह तो नहीं की हर कोई तुमसे सीखे रंग पर है मन कुछ कमियां होगी मुझ पर तुम भी तो भगवान नहीं मान लिया चलो मैं उतना कीमती नहीं पर जो भी हूं उसका मुझे गुमान नहीं थोड़ा तुम भी तो यह सोचो चलो मैं पसंद नहीं पर किसी और को भी तो देखो शायद देखकर लाचारी कमजोरी और बुढ़ापा तुम समझ पाओ की उम्र बढ़ते ही खूबसूरती कैसे ढलती है बस इतना ही कहना था की कलियों से टोडा हुआ फूल नहीं कलियों पर लगता और ना ही हर वक्त गुलाबी रहता है वह भी वक्त के साथ कल और मुरझाए हुए पंखुड़ियां में बदलता है।।
© लब्ज के दो शब्द