...

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डर लगता है...
मुझे टूट कर बिखरने से, डर लगता है,
मुझे उससे बिछड़ने से, डर लगता है,

वो मिल जाए ऐसी भी, कोई दुआ नहीं मेरी,
मगर उसके खो जाने का भी, डर लगता है,

वो कहीं से मेरा नहीं, और वो अज़नबी भी नहीं है,
मैं ज़िंदा हुँ कहीं उसमें, उसमें मर जाने से डर लगता है,

वो है तो एक दिया सा जल रहा है मेरे दिल में,
उसकी लय बनी रहे, इसलिए तेज़ हवाओं से डर लगता है,

वो चांद है, रात है और नींद भी है,
उसके ख़्वाब आंखों में है, सहर होने से डर लगता है..!!

© Vishakha Tripathi