...

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सांझ
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका

सांझ शर्मा कर लाल हो गई
पृथ्वी से प्रीत की घड़ी आ गई
सांझ रूह को
एक खुशी देने की घड़ी पा गई

थोड़ा हल चल थोड़ी हया थी
पर मिलन के लिए सब्र कहां थी

और लो सांझ रात के पूर्व आ गई।

© shivani jain