दीप!
हवाओं में तो धूल भी उड़ जाती है,
दीप तू धूल तो नहीं!
बहाव में तो लाश भी बह जाती है,
दीप तू लाश तो नहीं !
क्यों मारा है दीप, क्यों मारा है ?
अपनी इच्छा सकती का गला घोट,
हमेशा मन के साथ चला है!
कहां है तेरी वीरता दीप?
कहां है मर्दांगी ?
नाजुक स्थिति में नजुकता बड़ा रहा है!
क्या इतना खोखला हो गया ?
या था तू दीप ?
चारों तरफ पानी ही पानी देख,
तू चिल्लाया भी नहीं!
विश्वास कर ,
नौका पास से बहुत गुजरी होगी,
पर जो जीना ही ना चाहे उसे कोन बचाए दीप!
बूंद बूंद से मटका भरता है,लेकिन
बूंद बूंद से रिस भी जाता है दीप
बूंद बूंद से रिस भी जाता है!
© Kuldeep_Saharan
दीप तू धूल तो नहीं!
बहाव में तो लाश भी बह जाती है,
दीप तू लाश तो नहीं !
क्यों मारा है दीप, क्यों मारा है ?
अपनी इच्छा सकती का गला घोट,
हमेशा मन के साथ चला है!
कहां है तेरी वीरता दीप?
कहां है मर्दांगी ?
नाजुक स्थिति में नजुकता बड़ा रहा है!
क्या इतना खोखला हो गया ?
या था तू दीप ?
चारों तरफ पानी ही पानी देख,
तू चिल्लाया भी नहीं!
विश्वास कर ,
नौका पास से बहुत गुजरी होगी,
पर जो जीना ही ना चाहे उसे कोन बचाए दीप!
बूंद बूंद से मटका भरता है,लेकिन
बूंद बूंद से रिस भी जाता है दीप
बूंद बूंद से रिस भी जाता है!
© Kuldeep_Saharan