...

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तुम अनजान बैठे हो...
ना रह सकूं तेरे बिना...
ये जान के अनजान बैठे हो.....
सब सह के भी सह लूं तुझे...
ये सोच के आराम बैठे हो....
तुम्हे तो मैंने चाहा है...
तुम्हे तो मै ही चाहूंगी...
तुम्हारे फ़र्ज़ भी सारे अकेले मै निभाऊंगी...
की मेरे इस प्यार को मेरी ही गलती
मान बैठे हो.....
ना जी पाऊंगी तेरे बिन...
कमी मेरी जान बैठे हो....
की आशाएं है मेरी भी...
कभी तुम भी तो अपनाओ...
मुझे कीमत है मेरी क्या...
ये तुम आंखो से समझाओ...
मगर तुम तो
मेरे नज़रों से नज़रे हटा के बैठे हो....
मै नाखुश हूं की तू खुश ना..
भुला दूंगी अगर कुछ था....
की मेरी दूरियों में ही खुशी तुम छान बैठे हो...
की तुम अनजान बैठे हो...
ना रह सकूं तेरे बिना
ये जान के अनजान बैठे हो
की तुम अनजान बैठे हो.....