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कुछ पंक्तियां उसके याद में *_*
वो पहले शक्स हो तुम जिसको मैंने चाहा था,
खुद से बढ़कर मैंने किसी और को माना था।
खानदान का डर तो था ही मन में, लगता था,
और किसी से ना होगी मुहब्बत इस जग में।
खानदान की शान को गिरवी रख दिया मैंने तुम्हारे हक में,
वाह क्या सिला मिला मुझे मेरे रब से।
कोई गिला - कोई शिकवा नहीं मुझे किसी से,
लेकिन जानना चाहती हू मै क्या यही था मेरे हक में।
तुम्हारी चाहत इस कदर थी मेरे मन में,
कोई और ले ना सका वो जगह फिर मेरे दिल में।
रोती रही मैं रात भर तू खुले आसमान में घूमता रहा,
मैं तेरे याद में जागती रही और पूरा जग सोता रहा।
© @ishq_adhura
खुद से बढ़कर मैंने किसी और को माना था।
खानदान का डर तो था ही मन में, लगता था,
और किसी से ना होगी मुहब्बत इस जग में।
खानदान की शान को गिरवी रख दिया मैंने तुम्हारे हक में,
वाह क्या सिला मिला मुझे मेरे रब से।
कोई गिला - कोई शिकवा नहीं मुझे किसी से,
लेकिन जानना चाहती हू मै क्या यही था मेरे हक में।
तुम्हारी चाहत इस कदर थी मेरे मन में,
कोई और ले ना सका वो जगह फिर मेरे दिल में।
रोती रही मैं रात भर तू खुले आसमान में घूमता रहा,
मैं तेरे याद में जागती रही और पूरा जग सोता रहा।
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