दर्द
दर्द के भी कई ज़ुबां होते हैं
अश्क़, चीख़ तो कभी ख़ामोशी से बयां होते हैं
इसके होने से हक़ीक़त का एहसास होता है
ख़ुशी की एहमियत का आभास होता है
ख़ामियों, ख़तरों और हर रहगुज़र से दर्द का वास्ता होता है
खता, कभी सज़ा बनके दर्द का दाख़िला होता है
दर्द की मार में ज़िंदगी का...
अश्क़, चीख़ तो कभी ख़ामोशी से बयां होते हैं
इसके होने से हक़ीक़त का एहसास होता है
ख़ुशी की एहमियत का आभास होता है
ख़ामियों, ख़तरों और हर रहगुज़र से दर्द का वास्ता होता है
खता, कभी सज़ा बनके दर्द का दाख़िला होता है
दर्द की मार में ज़िंदगी का...