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"मैं आफ़ताब हूँ मगर नमी पसंद है
जला हूँ बहुत इसलिए चाँदनी पसंद है।
बुझाने से बढते जाएगी प्यास जोर से,
मैं पी रहा हूँ कि मुझे तिश्नगी पसंद है।
ये दिल मेरा इक तरफ़ ,इक तरफ़ दिमाग,
मगर मुझे इन दोनो की रसा-कशी पसंद है।।"
© ©Saiyaahii🌞✒
जला हूँ बहुत इसलिए चाँदनी पसंद है।
बुझाने से बढते जाएगी प्यास जोर से,
मैं पी रहा हूँ कि मुझे तिश्नगी पसंद है।
ये दिल मेरा इक तरफ़ ,इक तरफ़ दिमाग,
मगर मुझे इन दोनो की रसा-कशी पसंद है।।"
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