...

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तेरे नजरिए से देखूंगा।
तुझे मिले एक जमाना हो गया
तुझे मिले एक जमाना हो गया
लगता है जैसे तुज्से जुदा हुए एक जन्म हो गया,
हर मर्तबा तुझे अलग-अलग ढंग से लिखा है
कभी तेरी बेरुखी में
तो कभी तेरी बेवफाई मैं तुझे याद किया है
कभी तेरे सौंदर्य पर कभी तेरी आदतों पर लिखा है
कभी तुझे चित्र की तरह
तो कभी
तुझे एक कविता की तरह देखा है
इस मर्तबा वादा करता हूं तुझे तुज्जेसे ही देखूंगा
न तेरी सुंदरता को किसी से तुलना करूंगा
ना तुझे अपने भूतकाल से रूबरू करवाऊंगा
ना अपने झख्मों को तुझे दिखाऊंगा
इनायत की मरहम लगाए और झूठ की पट्टी लपेटे कर रखूंगा और इस मर्तबा जब तू मिलेगी तुझे तेरी ही नजर से देखूंगा।

© Poshiv